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सीएए से ख़राब हुई भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि- अमेरिकी रिपोर्ट

 22 Apr 2024

अमेरिका की कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की रिपोर्ट कहती है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की वज़ह से भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्ष छवि ख़राब हुई है। रिपोर्ट में सीएए को ‘भारतीय राजनीति’ से प्रभावित माना गया है। सीएए की वज़ह से भारतीय मुस्लिमों के अधिकारों पर भी चिंता ज़ाहिर की गयी है। सीआरएस, अमेरिकी कांग्रेस की एक स्वतंत्र अनुसंधान शाखा है।



भारतीय संविधान की ‘धर्मनिरपेक्ष’ छवि खराब हुई है

भाजपा की मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को साल 2019 में लागू किया था। जिसके चार साल बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता के नियमों को मार्च 2024 में जारी किया। इसके  तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से आये ग़ैर-मुस्लिम समुदायों को भारत की नागरिकता दी जानी है।

सीआरएस रिपोर्ट का मानना है कि सीएए के तहत मुसलमानों को नागरिकता नहीं देने से भारत के संविधान में दिये गये कुछ अनुच्छेदों (आर्टिकल) का उल्लंघन हो रहा है। भाजपा की केंद्र सरकार जिस तरह से हिंदू ‘राष्ट्रवाद’ और ‘हिंदू बहुसंख्यकों’ को लेकर आगे बढ़ रही है, इससे भारत के संविधान की धर्मनिरपेक्षता वाली छवि को ख़तरे में डाला जा रहा है। रिपोर्ट का कहना है कि सीएए और एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के नियम अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।


क्या कहता है भारत का धर्मनिरपेक्ष संविधान 

भारत के संविधान में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द को 42वें संविधान संशोधन के तहत साल 1976 में संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया। हालांकि इसके पहले  1973 में केशवानंद भारती केस में सुप्रीम कोर्ट धर्मनिरपेक्षता को संविधान के मूल ढाँचे का हिस्सा बता चुका था जिसे बदला नहीं जा सकता। संविधान के अनुसार, भारत का अपना कोई धर्म नहीं होगा और सरकार  की नज़र में सभी धर्म समान होंगे। लेकिन अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार सीएए के तहत ‘मुस्लिम’ समुदायों को जिस तरह नागरिकता देने के क़ानून से बाहर रखा गया है, उससे भारत के संविधान की धर्मनिरपेक्ष सोच को गहरा झटका लगा है।


क्या है सीआरएस 

सीआरएस, अमेरिकी अनुसंधान की एक स्वतंत्र शाखा है। सीआरएस की रिपोर्ट अमेरिकी संसद को निर्णय लेने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है सीआरएस की रिपोर्ट में जो विचार है वो सब यू.एस कांग्रेस के विचार हों।


वैसे अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी भारत में विवादित नागरिकता संशोधन क़ानूनों को लेकर अपनी चिंता ज़ाहिर की थी। बाइडेन ने कहा था कि उनकी सरकार विवादित नागरिकता के क़ानूनों पर अपनी नज़र बनाये हुए है।


भारत सरकार सभी विरोधों को ख़ारिज कर चुकी है

भाजपा की मोदी सरकार ने सीएए को लेकर किये जा रहे विरोध और चिंताओं को खारिज़ किया है। भाजपा सरकार के अनुसार सीएए का उद्देश्य प्रताड़ित किये जा रहे हिन्दुओं को भारत की नागरिकता देकर उन्हें सुरक्षा प्रदान करना है। सरकार ने कई बार यह आश्वासन भी दिया है कि सीएए की वज़ह से कोई भी भारतीय नागरिक अपनी नागरिकता को नहीं खोयेगा।


लेकिन विपक्ष,  सीएए  का विरोध कर रहा है।  विपक्ष का कहना है कि जब तक क़ानून में सभी धर्मों को शामिल नहीं किया जायेगा, तब तक सीएए के तहत सरकार की मंशा को सही नहीं माना जा सकता है। इसके अलावा साल 2019 में जब सीएए लागू किया गया था, तबक भी कई राज्यों में विरोध भी देखने को मिला था।  मुस्लिम महिलाओं ने बढ़-चढ़कर आंदोलन में भाग लिया था। इतना ही नहीं विभिन्न क्षेत्रों से कई दिग्गज़ों ने भी सीएए को लागू किये जाने का विरोध किया था।